लोन ना चुकाने पर जेल हो सकता है? | लोन ना चुकाने पर क्या हो सकता है?

Last Updated on August 21, 2023 by siya

आज के समय में पैसा ही सब कुछ है  जिनके पास पैसा है वह जो भी चाहे पैसों से खरीद सकते हैं ऐसो आराम की जिंदगी जी सकते हैं,पर जिनके पास पैसा नहीं है वह कैसे खरीदें ?सरकार ने सभी की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए लोन योजना लाती है।

जिसका उद्देश्य लोगों को लोन देकर उन्हें हर मामले से ऊपर उठाना होता है। लेकिन हमारे समाज में कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो लोन तो ले लेते हैं पर लोन चुकाने में आनाकानी करते हैं मतलब लोन रीपेमेंट नहीं करना चाहते, इसमें एप्लीकेंट जानबूझकर या किसी अन्य कारण से लोन नहीं दे पाते।

कई बार एप्लीकेंट को यह पता नहीं होता कि अगर वह लोन समय पर ना चुकाएंगे तो उसका परिणाम क्या हो सकता है? आज मैं इस आर्टिकल में इसी विषय पर चर्चा करूंगी।

मैं बताना चाहूंगी कि क्या लोन ना चुकाने पर जेल हो सकता है? लोन ना चुकाने पर क्या हो सकता है? सिक्योर्ड लोन ना चुकाने पर क्या हो सकता है?

अनसिक्योर्ड लोन ना चुकाने पर क्या हो सकता है? एनपीए क्या होती है? क्या लोन माफ होता है? लोन सेटेलमेंट क्या है ?और लोन सेटेलमेंट कैसे करें?

सरकार दो तरह के लोन बैंकों से प्रोवाइड कराती है, जिसमें पहला अनसिक्योर्ड लोन और दूसरा  सिक्योर्ड लोन होता है|अनसिक्योर्ड लोन में पर्सनल लोन,

एजुकेशनल लोन आदि यह सभी आते हैं जबकि सिक्योर्ड लोन में होम लोन ,गोल्ड लोन, मॉर्टगेज लोन आदि यह सभी आते हैं|सबसे पहले बात करते हैं कि अनसिक्योर्ड लोन न चुकाने पर क्या होता है?

लोन ना पर जेल हो सकता है?
लोन ना पर जेल हो सकता है?

लोन ना चुकाने पर जेल हो सकता है?

लोन न चुका पाने पर जेल हो सकती है? जी नहीं अगर आप लोन नहीं चुका पाते हैं तो आप को जेल नहीं हो सकती है, क्योंकि लोन न चुका पाने की सिविल विवाद है और इसके आधार पर आपके ऊपर किसी भी तरह का क्रिमिनल अपराध नहीं तय किया जाता है जिसके कारण आपको पुलिस जेल पर नहीं ले जा सकती।

पर हमारे देश में बैंकों के कार्य प्रणाली को निर्धारित करने के लिए आरबीआई ने लोन डिफॉल्टर के लिए भी कई सारे नियम बनाए हैं, अगर कोई व्यक्ति लोन नहीं चुका पाता है और वह अपनी लोन की ईएमआई 180 दिन तक नहीं छुपाता है तो बैंक या लोन देने वाले कंपनी Negotiable Instruments Act of 1881 के सेक्शन 138 के आधार पर लोन लेने वाले व्यक्ति पर लीगल एक्शन लेने के लिए केस फाइल कर सकती है।

इसमें आपको लोन ना चुकाने का नोटिस दी जाती है और इस नोटिस में आपसे कल पूछा जाता है कि आप लोग क्यों नहीं चुका पा रहे हैं तथा आप लोग कब तक चुका सकते हैं और आपको एक लिखित जवाब बैंक को देना होता है।

The indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में देश में कुल 16044 ऐसे लोन अकाउंट है जो कि जानबूझकर लोन नहीं चुकाना चाहते हैं, इस पूरे लोन की रकम 346,479 करोड़ है।  साल 2020 के आधार पर इस लोन रकम में 41% की वृद्धि देखने को मिली है।

असुरक्षित लोन ना चुकाने पर जेल हो सकता है? (अनसिक्योर्ड लोन न चुकाने पर क्या होता है)

बिना कोई चीज बैंक के पास गिरवी रखे जो लोन मिलता है unsecured लोन कहलाता है। यह बैंक के लिए एक प्रकार से असुरक्षित लोन होते हैं।

Unsecured loan की अमाउंट ना चुकाने पर बैंक एप्लीकेंट के खिलाफ कानूनी कार्रवाई तो करेंगे लेकिन इसके लिए बैंक के भी कुछ limitation होती है इसके लिए बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जारी किए गए दिशा निर्देशों के अनुसार ही काम कर सकते हैं।

इसमें एप्लीकेंट अगर लोन ना चुका पा रहे हैं तो कोई समस्या के बात नहीं है लेकिन रीजन बस सही होना चाहिए जैसे एप्लीकेंट का एक्सीडेंट हो गया या एप्लीकेंट का मृत्यु हो गया। लोन न चुका पाने की स्थिति में बैंक एप्लीकेंट को लोन चुकाने के संबंध में नोटिस भेजेगा।

इसके बाद भी एप्लीकेंट अगर लोन का रीपेमेंट नहीं करते हैं तो बैंक लोन रिकवरी एजेंसी को एप्लीकेंट के पास भेजते और फिर लोन अमाउंट का पेमेंट या सेटलमेंट करने के लिए कहते हैं।

यदि इसके बाद भी एप्लीकेंट लोन का पेमेंट नहीं करते हैं तो लोन अकाउंट एप्लीकेंट का बंद कर दिया जाता है और एप्लीकेंट का सिविल स्कोर या क्रेडिट स्कोर  पर effect  पड़ जाता है और उसे अगली बार लोन लेने में समस्या आती है।

सुरक्षित लोन ना चुकाने पर जेल हो सकता है?

Secured loan मे बैंक को एक प्रकार से  security मिलती है। इसमें एप्लीकेंट अपने लोन का पेमेंट अगर नहीं कर पा रहे हैं। 

तो  इस स्थिति में बैंक से लोन लेते समय जो संपत्ति  applicant  ने गिरवी के रूप में रखी है बैंक उसे संपत्ति के मालिकाना हक को लोन ना चुकाने की स्थिति में आपसे वापस ले  लेते हैं।

सिक्योर्ड लोन ना चुकाने की स्थिति में भारतीय अनुबंध अधिनियम 1872 के तहत एप्लीकेंट द्वारा ली गई लोन का रीपेमेंट बैंक द्वारा तय की गई EMI के रूप में होता है और बैंक के पास अधिकार होता है कि वह दिए गए लोन पेमेंट का वसूली के लिए कानून का सहारा ले सकते हैं।

इस में एप्लीकेंट किसी भी कारण से अगर लोन का रीपेमेंट नहीं कर पा रहे हैं तो बैंक सबसे पहले एप्लीकेंट से personal contact करेंगे और repayment के लिए कहेंगे।

अब बैंक द्वारा एप्लीकेंट्स को एक नोटिस भेजा जाएगा जिसमें भी लोन के पेमेंट के लिए कहा जाता है|अगर बैंक द्वारा नोटिस भेजने पर भी एप्लीकेन्ट लोन का पेमेंट नहीं करते हैं तो इस स्थिति में बैंक एप्लीकेंट पर case file करते हैं।

केस फाइल होने के बाद एप्लीकेंट को कोर्ट में पेश होना होता है और विनिमय साध्य  विलेख अधिनियम की धारा 138 के तहत एप्लीकेंट पर कानूनी कार्रवाई की जाती है।

इस धारा के तहत एप्लीकेंट को लोन ना चुकाने पर जुर्माना के रूप में अधिक ब्याज पर लोन के साथ पैसे चुकाने होते हैं और एप्लीकेंट यह भी ना चुका पाए तो इस स्थिति  में एप्लीकेंट को सजा के रूप में जेल होती है।

सिक्योर्ड लोन के अंतर्गत में एप्लीकेंट द्वारा गिरवी रखे हुए संपत्ति की नीलामी कर दी जाती है।

इस प्रकार हमने जाना कि सिक्योर्ड लोन और अनसिक्योर्ड लोन न चुका पाने की स्थिति में हमारे साथ यह सभी घटनाएं होंगे।

संपत्ति की नीलामी के बाद क्या होता है?

जब एप्लीकेंट बैंक द्वारा नोटिस भेजने और कानूनी कार्रवाई करने के बाद भी लोन को नहीं चुका पाते हैं तो इसी में बैंक एप्लीकेंट द्वारा लोन लेते समय जो संपत्ति गिरवी रखते हैं तब बैंक गिरवी रखे हुए संपत्ति को बेचने पर उतर आते हैं और संपत्ति को बेच कर अपने लोन अमाउंट की वसूली करते हैं।

अब संपत्ति को बेचकर बैंक को राशि मिल जाती है|अगर संपत्ति को बेचने में मिली राशि लोन अमाउंट से अधिक होती है तो बैंक अपने लोन अमाउंट वाले पैसे को काटकर जो भी राशि बचती है व राशि एप्लीकेंट के बैंक अकाउंट में डाल देते हैं।

बैंक हमारी सुविधाओं को पूरा करने के लिए ही लोन सुविधा उपलब्ध कराते हैं और समय पूरा होने पर लोन का पूरा पैसा नहीं मिलने की स्थिति में बैंक या सूजबुझ भी लगा लेते हैं कि आगे अब क्या करना है कि पूरा लोन अमाउंट वापस मिल जाए।

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क्या लोन माफ होता है?

बहुत सारे एप्लीकेंट यह जानने को इच्छुक होते हैं कि क्या बैंक दिए गए लोन को माफ करती है। 

तो मैं आपको बता दूं कि बैंक जल्दी से किसी भी प्रकार के लोन को माफ नहीं करती है बहुत कम ही लोन होते हैं। जो बैंकों द्वारा माफ किए जाते हैं सिक्योर्ड लोन में तो बिल्कुल लोन माफ करने जैसे कोई facilities नहीं होती है।

अनसिक्योर्ड लोन में कुछ लोन को बैंकों द्वारा माफ कर दिए जाते हैं यह कुछ लोन सरकारी योजना के अंतर्गत माफ किए जाते हैं।

इसमें सरकार द्वारा कई सारी योजनाएं लोन को माफ करने के लिए चलाई जाती है। जिसमें बहुत सारे गरीब मजदूर और किसानों के लोन को अगर वे कई कारणों से जैसे एप्लीकेंट का एक्सीडेंट हो गया या एप्लीकेंट की मृत्यु हो गई के कारण से या लोन चुकाने में असमर्थ है तो सरकार उनके लोन को माफ करती है।

लोन सेटेलमेंट क्या है?

जब लोन लेने वाला व्यक्ति किसी भी कारणों से लोन का भुगतान करने में असमर्थ होता है तब लोन सेटेलमेंट की नौबत आती है। यह एक प्रक्रिया होती है जिसमें एप्लीकेंट एक निर्धारित समय को लोन चुकाने का प्रस्ताव रखता है।

लोन सेटेलमेंट करने के बाद लोन अमाउंट को पूरा चुकाना तो होता ही है लेकिन एडीशनल चार्जेस जैसे इसके इंटरेस्ट ,पेनल्टी ,और अन्य चार्ज से राहत मिलती है या तो आंशिक या पूर्ण रूप से माफ कर दी जाती है।

लोन ना चुका पाने पर लोन सेटेलमेंट कैसे करें?

लोन सेटेलमेंट के लिए सबसे पहले बैंक से इसकी एक हार्ड कॉपी लेनी होती और उसे हार्ड कॉपी में मांगी गई जानकारी के अनुसार जैसे अपना नाम ,पिता का नाम ,लोन अमाउंट को बिल्कुल सही-सही भरना होता है।

इसके बाद इस फोन पर एप्लीकेंट के साइन के साथ-साथ बैंक के ब्रांच हेड का साइन भी लेना होता है|अब इस दस्तावेज को संभाल कर रखना होता है और एक बैंक में जमा करना होता है।

NPA क्या होता है?

NPA का पुरा नाम non performing asset होता है|जब भी एप्लीकेंट लोन लेते हैं तो बैंक लोन का रिपेमेंट EMI या किस्त के रूप में बना कर देती है जिसे एप्लीकेंट को हर महीने EMI के रूप में देने होते हैं।

अगर एप्लीकेंट EMI को लगातार तीन महीने किसी भी कारण से नहीं दे पाते हैं तो एप्लीकेंट का सिबिल स्कोर बढ़ जाता है और फिर एप्लीकेंट को किसी भी बैंक से लोन लेने में परेशानी होती है और इसे ही non performing asset यानी NPA कहते हैं।

लोन NPA होने के बाद bank एप्लीकेंट पर किसी भी प्रकार का legal action  bank ले सकते हैं।

सारांश

इस आर्टिकल में जाना क्या लोन ना चुकाने पर जेल हो सकती है? अगर आप लोन नहीं चुका पाते हैं तो बैंक आपको पर किसी भी तरह का अपराधिक केस नहीं कर सकती है क्योंकि लोना चुकाना एक सिविल विवाद है और बैंक इसके आधार पर किसी भी तरह क्रिमिनल केस नहीं कर सकती आपके ऊपर इसी कारण आपको लोन न चुका पाने पर जेल नहीं हो सकती है।

पर लोन ना चुकाने के कारण बैंक आपको लीगल नोटिस भेज सकती है इसके अलावा अगर आप किसी भी तरह सिक्योर्ड लोन लेते हैं तो वह आपकी गिरवी रखी हुई संपत्ति को बेच सकती है लोन की रकम को वसूल करने के लिए। अगर आप जानबूझकर लोन नहीं चुकाते हैं तो बैंक और लोन देने वाली कंपनी आपके ऊपर आईपीसी की धारा 403 और धारा 415 के तहत क्रिमिनल केस कर सकती है।

लोन न चुका पाने पर कौन सी धारा लगती है?

अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर लोन नहीं छुपाता है तो उस पर आईपीसी, 1860 (भारतीय दंड संहिता) की धारा 403 और धारा 415 लगती है।धारा 403 के तहत आपको 2 साल तक की सजा या फिर फाइन लगता हैआईपीसी की धारा 415 के तहत आपको  1 साल तक की सजा या फिर फाइन लग सकता है या फिर दोनों यानी कि फाइन भी देना होगा और जेल भी जाना पड़ सकता है।

लोन ना चुकाने पर कितने साल की सजा होती है?

अगर आपने बैंक में धोखाधड़ी करके लोन लिया है इसके तहत आपके खिलाफ आईपीसी की धारा 420 के तहत मुकदमा किया जाएगा जिसमें आप को अधिकतम 7 साल की सजा हो सकती है। वैसे अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर लोन की रकम को नहीं छुपाता है तो उसके ऊपर आईपीसी की धारा 415 और 403 लगती है जिसके तहत उसे 1 साल या फिर 2 साल की सजा हो सकती है।

पर्सनल लोन न चुकाने पर क्या होगा?

अगर आप पर्सनल लोन नहीं छुपाते हैं तो आपको सबसे पहले बैंक Negotiable Instruments Act of 1881 के सेक्शन 138 के आधार पर नोटिस भेजेगी जिसमें आपसे लोन ना चुका पाने का कारण पूछा जाएगा। और अगर आप जानबूझकर लोन की रकम नहीं छुपाते हैं और बैंक के साथ धोखाधड़ी करते हैं तो आपके ऊपर आईपीसी की धारा 415 और 403 लगाई जाती है। जैसा कि हम जानते हैं कि लोन ना चुकाने एक सिविल विवाद है इसके आधार पर आप पर किसी भी तरह का क्रिमिनल केस नहीं किया जा सकता है। पर बैंक के पास बहुत सारे लीगल ऑप्शन रहते हैं जिससे वह आप पर लीगल कार्रवाई कर सकते हैं।

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